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Kaithi Script | Kaithi Lipi Translation
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Hindi to Kaithi Converter Kaithi Script | Kaithi Lipi Translation हिंदी से कैथी कन्वर्टर हिंदी: कैथी: कॉपी करें -------------------------------- हिंदी से कैथी लिपि अनुवाद: एक ऐतिहासिक यात्रा कैथी लिपि, जो भारतीय उपमहाद्वीप की एक महत्वपूर्ण लिपि है, विशेषकर बिहार और उत्तर भारत में प्रचलित रही है। इस लिपि का प्रयोग मुख्य रूप से प्रशासनिक दस्तावेजों और अन्य महत्वपूर्ण लेखन कार्यों के लिए किया जाता था। लेकिन समय के साथ इसकी लोकप्रियता कम होती गई। आज के डिजिटल युग में, हम फिर से इस अद्भुत लिपि को जीवित करने के लिए विभिन्न प्रयास कर रहे हैं। कैथी लिपि का महत्व कैथी लिपि का इतिहास बहुत ही समृद्ध और विविधतापूर्ण है। यह लिपि विशेष रूप से अवधी, भोजपुरी, मगही, और मैथिली जैसी भाषाओं के लिए प्रयोग की जाती थी। इसके अलावा, यह लिपि सामान्य लोगों के लिए भी सुलभ थी, क्योंकि यह सरल और लिखने में आसान थी। आपको यह जानकर गर्व होगा कि इस लिपि का उपयोग करने वाले अधिकांश लोग कायस्थ जाति के थे, जिन्होंने इसे प्रशासनिक कार्यों के लिए विकसित किया था। ...
गणतंत्र दिवस - कैथी | Kaithi
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कैथी लिपि | Kaithi Script कैथी लिपि विद्यार्थियों की ओर से गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ ! (Kaithi Script students' earnest wishes on Republic Day) - नातिन संग श्री राज किशोर सिन्हा - श्री अनुज कुमार सिन्हा - श्री रोहित रंजन - श्रीमना मेधा कुमारी श्री मुकेश सिन्हा कुमार भवेश श्री दिनेश दिनकर - श्री शशि धर कुमार श्री प्रकाश श्री विनोद प्रसाद श्री विनोद प्रसाद डॉ. के डी श्रीवास्तव जानें - क्या है कैथी लिपि ? देखे...
कैथी लिपि में शिरोरेखा क्यों नहीं होती ? | Kaithi
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कैथी लिपि | Kaithi Script कैथी लिपि में शिरोरेखा नहीं होती है। शिरोरेखा क्यों नहीं होती है ? इसे समझने के लिए हमें पहले इसकी उत्पत्ति को समझना होगा। भारत में एक नहीं कई लिपियाँ हैं। ये लिपियाँ भी हमेशा से ऐसी नहीं रही थीं जैसी वे आज हमें देखने को मिलती हैं। कैथी लिपि मौर्यकालीन ब्राह्मी लिपि का एक परिवर्तित रूप है। अर्थात कैथी लिपि की उत्पत्ति ब्राह्मी लिपि से हुई है। ब्राह्मी लिपि सम्पूर्ण एशिया में इस्तेमाल की जाती थी। गुप्त काल में ब्राह्मी लिपि के दो भाग हो गए थे - उत्तरी ब्राह्मी लिपि - इस से गुप्त, शारदा, सिद्धम, कैथी, देवनागरी, मोदी, राजस्थानी, गुजराती, भुजिमोल, रंजना, महाजनी और मिथिलाक्षर लिपियाँ निकलीं। दक्षिणी ब्राह्मी लिपि - इस से तमिल, कलिंग, तेलगु, ग्रन्थ, अहोम और मलयालम लिपियों का उद्भव हुआ। ब्राह्मी लिपि में अक्षरों को ऊपर से एक लकीर ( शिरोरेखा ) से बाँध कर शब्द बना कर लिखने का प्रचलन नहीं था। संभवतः ब्राह्मी लिपि से उत्पत्ति होने के कारण ही कैथी लिपि में भी शिरोरेखा ...
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कैथी लिपि के उदाहरण | Examples of Kaithi Script - कैथी हिंदी लिपि वर्णमाला | Kaithi to Hindi Alphabet
Kaithi Script | कैथी लिपि कैसी भाषा है कैथी ? नहीं ! कैथी कोई भाषा नहीं है। कैथी एक लिपि है। लिपि है - कई भाषाओं की। उत्तर भारत में कई भाषाएँ प्रचलित हैं। इन भाषाओं को कलमबद्ध करने का काम कैथी ने बखूबी किया है। जितनी भाषाएँ, उतने ही रूप हैं कैथी के। इस लेख में आप देख सकते हैं कुछ चुनिंदा उदाहरण कि कैथी कैसे अलग-अलग भाषाओं को अपने विशिष्ट रूप में व्यक्त करती है। नीचे दिए गए उदाहरण में आप देख सकते हैं सामान्य कैथी में प्रयुक्त कैथी हिंदी वर्णमाला (Kaithi to Hindi Alphabet) के स्वर वर्ण - सामान्य कैथी - स्वर वर्ण विभिन्न उत्तर भारतीय भाषाओं में अलग-अलग वर्ण कैसे लिखे जाते हैं, इसका एक अन्य उदाहरण आप नीचे देख सकते हैं। कैथी लिपि वर्णमाला (Kaithi Alphabet) के व्यंजन वर्ण का कवर्ग : भिन्न-भिन्न भाषाओं के अनुरूप - विभिन्न भाषाओं में कैथी वर्णों का तुलनात्मक अध्ययन : क वर्ग हिंदी ( देवनागरी लिपि ), अंग्रेज़ी जैसी भाषाओं को सीखते समय हम काफ़ी अभ्यास करते है, तब जाकर हम इन ...
कैथी लिपि क्या है | What is Kaithi Script
१. भाषा और लिपि में क्या अंतर है ? २. कैथी क्या है ? ३. कैथी लिपि का महत्व ४. कैथी लिपि का इतिहास ५. कैथी लिपि का विस्तार क्षेत्र ६. कैथी लिपि में कौन सी भाषाएँ लिखी गयी हैं ? ७. कैथी लिपि और देवनागरी लिपि में अंतर ८. कैथी लिपि का पराभव कैसे हुआ ? ९. कैथी के अवसान से क्या परेशानियाँ आईं ? १०. वर्तमान परिदृश्य में कैथी लिपि की उपयोगिता ११. कैथी लिपि की पुस्तकें १२ . कैथी लिपि कैसे सीखें ? १. भाषा और लिपि में क्या अंतर है ? भाषा हमारे विचारों को व्यक्त करने का साधन है। यह अभिव्यक्ति का मौखिक रूप है। मगही, अवधि, मैथिली, आदि भाषाएँ हैं। भाषा की ध्वनियों को लिखने के लिए हम जिन चिन्हों का इस्तेमाल करते हैं, वही उस भाषा की लिपि कहलाती है। यह अभिव्यक्ति का लिखित रूप है। कैथी लिपि है - मगही, अवधि, मैथिली, आदि कई भाषाओं की। Back To Top २. कैथी क्या है? कैथी, कायथी या काय...
कैथी संरक्षक
ध्रुव कुमार | Dhrub Kumar | Kaithi Lipi: Ek Parichay
कैथी लिपि | Kaithi Script श्री ध्रुव कुमार (कैथी लिपि संवर्धन और संरक्षण में समर्पित एक विशाल व्यक्तित्व ) कैथी लिपि के उत्कृष्ट शोधकार्य एवं पुनरुद्धार में अपने जीवन के महत्वपूर्ण साल अर्पण करने वाले एवं "कैथी लिपि : एक परिचय" नामक उत्तम पुस्तक के रचयिता, पूर्वोत्तर रेलवे महाविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष - श्री ध्रुव कुमार! शुभकामनाएँ लेखक परिचय जन्म - २० अक्तूबर १९५७ जन्म स्थान - हुमायुँपुर, सीतामढ़ी , बिहार शिक्षा - स्नातकोत्तर (मनोविज्ञान ), स्नातक ( विधि ) वृत्ति - विभागाध्यक्ष (मनोविज्ञान ), पूर्वोत्तर रेलवे महाविद्यालय, सोनपुर, सारण प्रकाशन - कैथी लिपि : एक परिचय ( पुस्तक ) अभी कोख में ही रहेगी मेरी कविता ( काव्य संग्रह ) विभिन्न पत्र-पत्रिकाएँ ( कविता, कहानी, आलेख ) संपादन - हम्मर बज्जिका लोकगीत स्वर लिपि के साथ - द्वारा प्रोफेसर उमाकांत वर्मा नव किरण - नव साक्षरों के लिए फूल तुम खिलते हो - द्वारा बाल कवि प्रतीक प्रसारण - आकाशवाणी पटना से वार्ताओं का प्रसारण लिप्यंतर...
भूमि मापन - श्री भवेश कुमार की कलम से | Kaithi
कैथी लिपि | Kaithi Script भारत के ज्यादातर भागों में भूमि को मापने के लिए गज, हाथ, गट्ठा, ज़रीब, बिस्वा, कट्ठा, धूर, धुरकी, छुरकी, किल्ला, एकड़, हेक्टेयर, आदि मात्रकों का प्रयोग किया जाता है। उत्तरी भारत में भूमि मापन बीघा, बिस्वा, मारला, कनाल, कट्ठा, धूर, धुरकी, छुरकी, हाथ, आदि इकाइयों में किया जाता है, जबकि दक्षिणी राज्यों में उपयोग की जाने वाली इकाइयों में ग्राउंड, सेंट, अंकनम, गुंठा, आदि शामिल हैं। बीघा, बिस्वा, कट्ठा, आदि इकाइयों के आकार भी भिन्न-भिन्न हैं। इतना ही नहीं, भूमि मापन में प्रयोग की जाने वाली जरीब भी भिन्न-भिन्न है। जरीब पाँच प्रकार के होते हैं : गन्तरि जरीब = 22 गज = 66 फीट फतेहपुरी जरीब = 44 गज = 132 फीट सहारनपुरी जरीब = 49.5 गज = 148.5 फीट फर्रुखाबादी जरीब = 52 .5 गज = 157.5 फीट ...
Pyasa Kauwa | प्यासा कौवा | Examples of Kaithi Lipi
Kaithi Script | कैथी लिपि प्यासा कौवा | Pyasa Kauwa एक कौवा प्यासा था, घड़े में पानी थोड़ा था कौए ने डाला कंकड़ पानी आया ऊपर कौए ने पिया पानी ख़त्म हुई कहानी सीख - कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ------------------------------------------------------------------------------------------- A crow was thirsty, pitcher had little water the crow put pebbles water came up the crow drank water ends the story Moral of the Story - Those Who Try, Never Give Up! जानें - क्या है कैथी लिपि ? देखें - कैसे सीखें कैथी लिपि ?
कैथी लिपि में शिरोरेखा क्यों नहीं होती ? | Kaithi
कैथी लिपि | Kaithi Script कैथी लिपि में शिरोरेखा नहीं होती है। शिरोरेखा क्यों नहीं होती है ? इसे समझने के लिए हमें पहले इसकी उत्पत्ति को समझना होगा। भारत में एक नहीं कई लिपियाँ हैं। ये लिपियाँ भी हमेशा से ऐसी नहीं रही थीं जैसी वे आज हमें देखने को मिलती हैं। कैथी लिपि मौर्यकालीन ब्राह्मी लिपि का एक परिवर्तित रूप है। अर्थात कैथी लिपि की उत्पत्ति ब्राह्मी लिपि से हुई है। ब्राह्मी लिपि सम्पूर्ण एशिया में इस्तेमाल की जाती थी। गुप्त काल में ब्राह्मी लिपि के दो भाग हो गए थे - उत्तरी ब्राह्मी लिपि - इस से गुप्त, शारदा, सिद्धम, कैथी, देवनागरी, मोदी, राजस्थानी, गुजराती, भुजिमोल, रंजना, महाजनी और मिथिलाक्षर लिपियाँ निकलीं। दक्षिणी ब्राह्मी लिपि - इस से तमिल, कलिंग, तेलगु, ग्रन्थ, अहोम और मलयालम लिपियों का उद्भव हुआ। ब्राह्मी लिपि में अक्षरों को ऊपर से एक लकीर ( शिरोरेखा ) से बाँध कर शब्द बना कर लिखने का प्रचलन नहीं था। संभवतः ब्राह्मी लिपि से उत्पत्ति होने के कारण ही कैथी लिपि में भी शिरोरेखा ...
कैथी लिपि का इतिहास | History of Kaithi Script
गणतंत्र दिवस - कैथी | Kaithi
कैथी लिपि | Kaithi Script कैथी लिपि विद्यार्थियों की ओर से गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ ! (Kaithi Script students' earnest wishes on Republic Day) - नातिन संग श्री राज किशोर सिन्हा - श्री अनुज कुमार सिन्हा - श्री रोहित रंजन - श्रीमना मेधा कुमारी श्री मुकेश सिन्हा कुमार भवेश श्री दिनेश दिनकर - श्री शशि धर कुमार श्री प्रकाश श्री विनोद प्रसाद श्री विनोद प्रसाद डॉ. के डी श्रीवास्तव जानें - क्या है कैथी लिपि ? देखे...
नवरात्रि शुभकामनाएँ | कैथी लिपि के उदाहरण | Examples of Kaithi Script
कैथी लिपि | Kaithi Script सभी को नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ हिन्दू धर्म का एक प्रमुख पर्व - नवरात्रि । संस्कृत में नवरात्रि का अर्थ है नौ रातें। इन नौ रातों तक शक्ति की अधिष्ठात्री देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। वर्ष में कुल चार बार नवरात्रि होती है - चैत्र एवं आश्विन माह की नवरात्री को प्रकट नवरात्री भी कहा जाता है। आषाढ़, एवं माघ माह की नवरात्री के विषय में अधिक लोगों को जानकारी नहीं होती । इनमें गुप्त रूप से शक्ति की उपासना की जाती है, अतः इन्हे गुप्त नवरात्री भी कहा जाता है। प्रथम शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्मीं, इसलिए इनका नाम शैलपुत्री है। ये स्थिरता लाती हैं। दाएँ हाथ में त्रिशूल शत्रु संहार का एवं बाएँ हाथ में कमल शांति का प्रतिक है। वन्दे वांछितलाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्री यशस्विनीम --------------- द्वितीय ब्रह्मचारिणी ब्रह्मचारिणी यानि तप का आचरण करने वाली। इनके बाएँ हाथ में कमण्डल और दाएँ हाथ में जप माला ज्ञान का प्रति...